Breastfeeding for Baby and Mother in Hindi – की पूरी जानकारी

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Breastfeeding for Baby and Mother in Hindi – की पूरी जानकारी

Breastfeeding for Baby and Mother in Hindi – के इस पोस्ट में माँ का दूध (Breast milk) नवजात शिशु के लिए ( Breastfeeding for baby ) कितनी जरुरी है साथ ही स्तनपान कराना (Breastfeeding for mother) माँ के लिए कितनी आवश्यक है | इसमें नवजात शिशु तथा माँ को स्तनपान से क्या क्या लाभ होते है की पूरी जानकारी दी गई है |

यदि आप Breastfeeding for Baby and Mother in Hindi की पूरी जानकारी चाहते है तो इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक शुरू से अंत तक पढ़े | आपको Advantages of Breastfeeding for Baby in Hindi, Advantages of Breastfeeding for Mother in Hindi, Importance of Breastfeeding, Breastfeeding tips for mother in Hindi, Breastfeeding problems in Hindi की पूरी जानकारी मिलेगी |

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Importance of Breastfeeding – स्तनपान का महत्व

स्तनपान ( Breastfeeding ) नवजात शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार के रूप में जाना जाता है | यह माँ तथा बच्चा दोनों के लिए प्राकृतिक रूप से मिला हुआ एक बरदान है यह कहे की स्तनपान ( Breastfeeding ) एक प्रकार का अमृत है जो नवजात शिशु के लिए सभी प्रकार का पोषक तत्त्व की पूर्ति करता है | इसके अलावा माता एवं नवजात शिशु के बीच भावनात्मक लगाव भी पैदा करता है |

स्तनपान ( Breastfeeding ) – माँ द्वारा अपने नवजात शिशु को अपने स्तन से दूध पिलाने की क्रिया को स्तनपान ( Breastfeeding ) कहते है |

स्तन का दूध ( Breast milk ) – जो दूध माँ के स्तनों से निकलता है | दूसरे शब्दों में :- औरतो के स्तनों से जो सफ़ेद प्रकार का द्रव्य निकलता है |

नवजात शिशु के जन्म के प्रथम 6 महीने तक माँ को सिर्फ अपना ही दूध पिलाना चाहिए इसके बाद ही उन्हें अन्य आहार देना चाहिए क्योंकि यह 6 महीने बच्चे के लिए माँ का दूध सभी प्रकार का पौस्टिक आहार पैदा करते है जिससे शिशु सभी प्रकार के बिमारियों तथा संक्रमण से लड़ने में सक्षम हो सके | माँ के दूध में विटामिन, वसा, खनिज, प्रोटीन तथा बीमारी से लड़ने में प्रतिरोधक क्षमता होती है | यही नहीं बच्चे का मानसिक तथा शारीरिक विकास बहुत हद तक शुरआत के 6 महीने माँ का दूध ( Breast milk ) पर निर्भर करता है | वैसे तो 6 महीने के बाद अन्य आहार के साथ कम से कम 2 साल तक माँ का दूध बच्चे को देना जारी रखना चाहिए |

यदि हम बच्चो को सही तरीके से स्तनपान नहीं करायें तो कई तरह की बिमारियों का न्योता अपने नवजात शिशु के लिए दे रहे है जैसे डायरिया (diarrhoea), respiratory infection तथा अन्य तरह के बॉडी इन्फेक्शन जिससे उनकी जान भी जा सकती है | क्योंकि जन्मजात बच्चों को प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है इसलिए अपने बच्चों को उचित तथा रेगुलर स्तनपान कराना जरुरी है | स्तनपान ( Breastfeeding ) से सिर्फ नवजात शिशु को ही नहीं बल्कि माँ को भी कई गंभीर बिमारियों से बचाया जा सकता है जैसे ब्रैस्ट कैंसर , गर्भाशय कैंसर, अंडाशय कैंसर आदि |

इन महत्वों को देखते हुए आज पुरे विश्व में 1 से 7 अगस्त तक स्तनपान ( Breastfeeding ) दिवस मनाया जाता है ताकि आप और आपका बच्चा सुरक्षित रहे | अंत में स्तनपान ( Breastfeeding ) के महत्व को देखते हुए आप सभी माँओं को बताना चाहता हूँ की अपने तथा अपने नवजात शिशु को स्वस्थ रखने तथा कई गंभीर बिमारियों से बचाने के लिए कम से कम 6 months तक स्तनपान जरूर करायें | इसके बाद कई प्रकार के आहार के साथ साथ स्तनपान ( Breastfeeding ) की प्रक्रिया 2 साल तक जारी रखे |

स्तनपान के लाभ – Advantages of Breastfeeding

स्तन का दूध (Breast Milk) नवजात शिशु के लिए सर्वोत्तम आहारों में से एक है इसमें सभी प्रकार के प्रोटीन, खनिज , विटामिन , वसा आदि मिले होते है | बच्चो में यह एंटीबॉडी के रूप में काम करता है उनके immunity को इतना बढ़ाता है की कई तरह के बिमारियों से लड़ने में मदद करता है जैसे एलर्जी, फंगल इन्फेक्शन, बॉडी इन्फेक्शन, डायरिया, रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम आदि |

इनके लाभ को देखते हुए इन्हे दो भागो में बांटा गया है :-

(1) शिशु के लिए लाभ ( Advantage of Breastfeeding for Baby)

(2) माता के लिए लाभ ( Advantages of Breastfeeding for Mother )

शिशु के लिए लाभ ( Advantages of Breastfeeding for Baby in Hindi )

माँ का दूध – Breast Milk

1. माँ का दूध (Breast Milk ) – नवजात शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार होता है इसमें विटामिन, प्रोटीन, खनिज, वसा, आदि प्रयाप्त मात्रा में मिले होते है | जो बच्चे को उचित ग्रोथ और विकास के लिए आवश्यक है |

2. माँ का दूध (Breast Milk ) – इसमें लाक्टोसे (Lactose) नमक पदार्थ काफी मात्रा में पाया जाता है जो कई तरह के बिमारियों में सहायक होता है | यह नवजात शिशु के हडियों तथा नर्वस सिस्टम के विकास में काफी सहायक होता है |

3. माँ का दूध (Breast Milk ) – नवजात शिशु को Rickets ( कमजोर या नरम हाड़ियाँ ) तथा स्कर्वी ( खून की कमी, कमजोरी, थकावट, हाथों में दर्द , पैरो में दर्द, टैंगो में दर्द, सूजन आदि ) जैसे बीमारयों से इनकी रक्षा करता है |

4. माँ का दूध (Breast Milk ) – नवजात शिशु को स्तनपान (breastfeeding) कराने से यकृत सम्बन्धी बीमारियां , अस्थमा ( Respiratory problem) आदि की संभावना बहुत कम हो जाती है |

5. माँ का दूध (Breast Milk ) – नवजात शिशु के जन्म के पहले दिनों के दौरान माँ के स्तनों से कोलोस्ट्रम नामक गाढ़ा तथा पीला दूध निकलता है | यह नवजात शिशु के लिए काफी पौष्टिक, सुपाच्य ( पाचनतंत्र के विकसित करना ) तथा संक्रमण रोधी (Anti Infective ) होता है जो नवजात शिशु के लिए काफी जरुरी है |

6. माँ का दूध (Breast Milk ) – माँ और शिशु के बीच भावनात्मक relationship बनाने में सहायक है जिससे व्यवहारिक समस्या उत्पन्न होने की संभावना काफी काम हो जाती है | क्योंकि शिशु माँ के स्पर्श से ही समझ लेता है जिससे सुरक्षा की भावना का विकास होता है |

7. माँ का दूध (Breast Milk ) – हमें मालुम है की माँ का दूध शिशु के लिए कितनी जरुरी है तथा यह दूध बच्चो के लिए free of cost यानि बिना खर्चा के ही उपलब्ध होता है यह प्राकृतिक का देन है | इसमें इतने गुण है कि कुपोषण तथा तरह तरह के इन्फेक्शन से इनकी रक्षा करता है |

8. माँ का दूध (Breast Milk ) – शिशु के लिए यह दूध माँ के स्तनों में 24 hours उपलब्ध रहता है इंतज़ार की कोई आवश्यकता नहीं | यह इन्फेक्शन फ्री तथा 24 hours ताजा दूध निकलता है जो शिशु के लिए जीवनदायनी के रूप में कार्य करता है |

9. माँ का दूध (Breast Milk ) – माँ का दूध सत प्रतिशत सुरक्षित होता है एलर्जी की संभावना न के बराबर होती है जबकि अन्य दूध में एलर्जी होने का खतरा काफी ज्यादा होती है |

माता के लिए लाभ ( Advantages of Breastfeeding for Mother in Hindi )

स्तनपान ( Breastfeeding )

1. स्तनपान ( Breastfeeding ) – यदि माँ स्तनपान करवाती है तो यह क्रिया गर्भनिरोधक के रूप में कार्य करती है तथा ovulation की प्रक्रिया को भी बहुत हद तक रोकती है |

2. स्तनपान ( Breastfeeding ) – गर्भावस्था के दौरान माँ को अतिरिक्त वसा का निर्माण हो जाता है जिससे उन्हें हमेशा भारी-भारी सा महसूस होता है | लेकिन स्तनपान ( Breastfeeding ) कराने से वसा में कमी होनी शुरू हो जाती है तथा उनकी फिगर काफी हद तक मेन्टेन हो जाता है उन्हें स्लिम बनाने में स्तनपान ( Breastfeeding ) काफी सहायक के रूप में कार्य करता है |

3. स्तनपान ( Breastfeeding ) – शिशु को स्तनपान कराने से माँ को काफी सुरक्षा प्रदान होती है एक तरह से आप ईश्वरीय वरदान कह सकते है उन्हें Breast Cancer, Ovarian Cancer आदि जैसी बिमारियों से बचाव में काफी मदद मिलती है |

4. स्तनपान ( Breastfeeding ) – स्तनपान कराने से शिशु तथा माँ के बीच भावनात्मक relationship पैदा होती है जिससे बच्चा माँ के पास रहने में काफी सुरक्षित महसूस करता है तथा धीरे धीरे स्पर्श से माँ को पहचानने लगता है जिससे इनमे घनिष्ठता बढ़ती है |

5. स्तनपान ( Breastfeeding ) – ब्रैस्ट मिल्क माँ को प्राकृतिक रूप से मिला हुआ एक वरदान है जो बच्चे को जन्म के साथ ही स्तन में दूध के रूप में प्राप्त हो जाता है इन्हे शिशु के आहार के लिए इधर उधर जाने की कोई आवश्यकता नहीं होती है | तथा शिशु के लिए ब्रैस्ट मिल्क पौष्टिक से भरपूर तथा अमृत के सामान आहार है |

नोट :- स्तनपान ( Breastfeeding ) कराने वाली माँ को काफी पौष्टिक आहार की जरुरत होती है उन्हें खान पान का खास ख्याल रखना होगा | क्योंकि वह जो खाती है उसका असर बच्चा पर पड़ता है तथा उनका खानपान दूध उत्पन्न करने में काफी सहायक होता है | इसलिए माओं को खान पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए | हम कुछ खाद्य पर्दार्थो का नाम बता रहे है :- बादाम, हरी सब्जी , दलिया, पपीता, नरियलपानी गाजर, पालक, लोकि, गाजर, लहसुन, अदरख, मछली, मेथीदाना, फल, फल जूस, अंडा, मांस, रोटी, चावल, तथा सतवारी चूर्ण आदि |

स्तनपान की शुरुवात कब करें ( Starting of Breastfeeding )

Normal बच्चा होने की स्थिति में एक स्वस्थ शिशु (Neonate) के जन्म के बाद तुरंत माँ को दूध पिलाना शुरू कर देना चाहिए | हाँ यदि बच्चा का जन्म सिजेरियन सेक्शन से हुई है तो थोड़ा समय लग सकता है लेकिन चार से पांच घंटे में स्तनपान शुरू कर दे क्योंकि माँ का पहला दूध बच्चे के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है यह थोड़ा पीला तथा कोलोस्ट्रम से युक्त होता है जो बच्चे के लिए काफी पौस्टिक होता है | बच्चे को एक से दो बार दूध पीने से माँ का दूध स्तन से ज्यादा उतरना शुरू हो जाता है |

नवजात शिशु (Neonate) को स्तनपान कब कब करवाना चाहिए

नवजात शिशु (Neonate) को जन्म के तुरंत बाद स्तनपान शुरू कर दें तथा एक से दो घंटे के अंतराल पर दूध पिलाना चाहिए ऐसे तो एक बच्चा 24 hours में 10 से अधिक बार दूध पीता है | तथा समय के अनुसार इसका अंतराल बढ़ता जाता है | फिर भी इसकी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है | बच्चा एक से दो बार दूध पीने के बाद स्वयं इसकी मांग करना चालु कर देगा तथा कई संकेत भी देता है जिससे आप समझ सकते है की आपका बच्चा दूध की मांग कर रहा है | साधारण भाषा में बच्चे को मांग के अनुसार demand feeding करवाना चाहिए |

Demand feeding – बच्चे को भूख लगने पर उसे दूध पिलाने की क्रिया को demand feeding कहते है |

स्तनपान की अवधि ( Duration of Breastfeeding )

नवजात शिशु (Neonate) को कम से कम छः महीने तक माँ का दूध पिलाना चाहिए अन्य कोई पदार्थ देने की आवश्यकता नहीं | छः महीने के बाद आप माँ के दूध के साथ-साथ अन्य आहार दे सकते है जो शिशु के लिए उपयोगी हो तथा पचने में आसान हो | अन्य आहार के साथ-साथ माँ का दूध (Breast Milk ) कम से कम एक साल तक तथा अधिक से अधिक दो साल तक जरूर पीलाये |

नवजात शिशु को पानी दे या नहीं

तो जवाब है नहीं | नवजात शिशु को 6 months तक माँ का ही दूध केवल देना चाहिए क्योंकि माँ के दूध में पानी की मात्रा मिली हुई रहती है जो काफी पौष्टिक होता है | हाँ 6 months के बाद आप अन्य आहार के साथ साथ माँ के दूध देने के क्रम में अन्य आहार के साथ आप पानी पीला सकती है |

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Conclusion of Breastfeeding for Baby and Mother in Hindi Post

Breastfeeding for Baby and Mother in Hindi के इस पोस्ट में Breastfeeding for Baby and Mother in Hindi के बारें में पूरी जानकारी हमने अलग अलग point wise बताने की कोशिश की है जिसमे Importance of Breastfeeding , Advantages of Breastfeeding for Baby in Hindi , Advantages of Breastfeeding for Mother in Hindi , Starting of Breastfeeding , Duration of Breastfeeding तथा अन्य topics को भी कवर किया है | इस पोस्ट को शुरू से अंत तक जरूर पढ़े तथा अपना सुक्षाव हमें Comment के माध्यम से जरूर दे |

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